Neeru
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आज विज्ञान लाख तरक्की कर ले पर झाड़ फूक करने वाले बाबाओँ, ओझाओं ने भी भोले- भाले लोगों की कोमल भावनाओं को भुना कर अपनी मज़बूत पकड़ बना ली है. ये लोग अपनी रोज़ी रोटी चलाने के लिए धर्मभीरु जनता को बेवकूफ बनाते हैं. गंडे – ताबीज़ बाँध कर उनकी मुसीबत को दूर करने का नाटक रचते हैं. आम जनता दुःख और विपदा की घड़ी में डॉक्टर के बजाये इन्ही बाबाओँ, ओझाओं पर ज्यादा यकीन करने लगती है और टोने – टोटके के चक्कर में पड़ जाती है.
हमारे विचार से लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए. उन्हें समझना चाहिए की अगर बाबाओँ के झाड़ फूक से ही सारा दुःख – दर्द दूर किया जा सकता तो डॉक्टरों की क्या ज़रुरत थी. इन्हीं ढोंगियों की वजह से देश और समाज का भी नुकसान होता है.
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