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कविता – उड़ान

Neeru
Neeru
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पूर्वी क्षितिज से
बादलों के पीछे से
सूर्य निकल आया
फूट रहा आग का लावा
परिंदों की उड़ान में
थकान और प्यास
बेहाल हो पेड़ो के टहनियों में
बैठे प्यास से व्याकुल
जीवन-दान को तरसते पक्षी
तभी आया हवा का एक झोंका
मिट्टी की सुगंध से
भर जाता है मन
बारिश की बूंदे
बिजली की चमक
घोर गर्जन
सबके बीच मन,
उलझा रहा,देख रहा
आसमान की ओऱ

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