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अपनी संस्कृति को न भूलें

Neeru
Neeru
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हमारा समाज कामुक,हिंसक तथा पुरुषत्वविहीन होता जा रहा है.पाश्चात्य संस्कृति अशलीलता को बढ़ावा देकर हमारे जीवन शैली में विष घोल रही है.अपनी भाषा,अपनी वेशभूषा और अपना खानपान सबकुछ भूलकर आधुनिकता की ओर लोगों के बढ़ते कदम समाज को एक अनजाने रास्ते पर ले जा रहा है.आधुनिकता के इस अंधी दोर में लोग यह कहते नहीं थकते कि ‘सब चलता है ‘निश्चय ही भारतीय संस्कृति पर इसका दुश्प्रभाव दिखाई देने लगा है.हमारे समाज और परिवार में विषमताये जन्म ले रही हैं.अपनी संस्कृति को भूलकर परिवर्तन कि आंधी में बहजाना अनुचित है.आधुनिकता के नाम पर अशलीलता परोसने वालों के लिए सीमा बंधन होना चाहिए.

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